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दꣳष्ट्रा॑भ्यां म॒लिम्लू॒ञ्जम्भ्यै॒स्तस्क॑राँ२ऽउ॒त। हनु॑भ्या॒ स्ते॒नान् भ॑गव॒स्ताँस्त्वं खा॑द॒ सुखा॑दितान् ॥७८ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

दꣳष्ट्रा॑भ्याम्। म॒लिम्लू॑न्। जम्भ्यैः॑। तस्क॑रान्। उ॒त। हनु॑भ्या॒मिति॒ हनु॑ऽभ्याम्। स्ते॒नान्। भ॒ग॒व॒ इति॑ भगऽवः। तान्। त्वम्। खा॒द॒। सुखा॑दिता॒निति॒ सुऽखा॑दितान् ॥७८ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:11» मन्त्र:78


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उन दुष्टों को किस किस प्रकार ताड़ना करें, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (भगवः) ऐश्वर्य्यवाले सभा सेना के स्वामी ! जैसे (त्वम्) आप (जम्भ्यैः) मुख के जीभ आदि अवयवों और (दंष्ट्राभ्याम्) तीक्ष्ण दाँतों से जिन (मलिम्लून्) मलिन आचरणवाले सिंह आदि को और (हनुभ्याम्) मसूड़ों से (तस्करान्) चोरों के समान वर्त्तमान (सुखादितान्) अन्याय से दूसरों के पदार्थों को भोगने और (स्तेनान्) रात में भीति आदि फोड़-तोड़ के पराया माल मारने हारे मनुष्यों को (खाद) जड़ से नष्ट करें, वैसे (तान्) उन को हम लोग (उत) भी नष्ट करें ॥७८ ॥
भावार्थभाषाः - राजपुरुषों को चाहिये कि जो गौ आदि बड़े उपकार के पशुओं को मारनेवाले सिंह आदि वा मनुष्य हों, उन तथा जो चोर आदि मनुष्य हैं, उन को अनेक प्रकार के बन्धनों से बाँध ताड़ना दे नष्ट कर वश में लावें ॥७८ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तान् कथं ताडयेयुरित्याह ॥

अन्वय:

(दंष्ट्राभ्याम्) तीक्ष्णाग्राभ्यां दन्ताभ्याम् (मलिम्लून्) मलिनाचारान् सिंहादीन् (जम्भ्यैः) जम्भेषु मुखेषु भवैर्जिह्वादिभिः (तस्करान्) चोर इव वर्त्तमानान् (उत) अपि (हनुभ्याम्) ओष्ठमूलाभ्याम् (स्तेनान्) परपदार्थापहर्तॄन् (भगवः) ऐश्वर्यसंपन्न राजन् (तान्) (त्वम्) (खाद) विनाशय (सुखादितान्) अन्यायेन परपदार्थानां भोक्तॄन्। [अयं मन्त्रः शत०६.६.३.१० व्याख्यातः] ॥७८ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे भगवः सभासेनेश ! यथा त्वं जम्भ्यैर्दष्ट्राभ्यां यान् मलिम्लून् तस्करान् हनुभ्यां सुखादितान् स्तेनान् खाद विनाशयेस्तान् वयमुत विनाशयेम ॥७८ ॥
भावार्थभाषाः - राजपुरुषैर्ये गवादिहिंसकाः पशवः पुरुषाश्च ये च स्तेनास्ते विविधेन बन्धनेन ताडनेन नाशनेन वा वशं नेयाः ॥७८ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - राजपुरुषांनी गायींचे हनन करणरे सिंह, माणसे व चोर यांना अनेक प्रकारच्या बंधनात जखडून टाकावे, नष्ट करावे किंवा त्यांच्यावर नियंत्रण ठेवावे.